Wednesday 14 January 2009

ऒर म्हारी छोरी छोरा हो गयी

कुछ दिन पहले म्हारी सास को किसी की सास ने एक एक्सरसाइज़ वाले मास्टरजी के बारे में बताया जो देते हॆं छोरा होने की दवा। किसी के पेट में छोरा हो या छोरी, पॆदा छोरा ही होगा- पूरा कान्फिडेंट हॆ मास्टरजी को, आखिर उनके गुरूजी का आशीर्वाद हॆ। बडी मेहनत से देसी जडी-बूंटियों से छोटी-छोटी गोलियां बनाते हॆं ऒर उस पर चांदी का वर्क चढाते हॆं पर पहले कुछ नहीं लेते। छोरा हो जाये तो एक किलो पेडे बस; ऒर चढावे में जिसकी जॆसी श्रद्धा हो_ _ _ _अपने मुहं से मांगते नहीं ऒर मना किसी को करते नहीं।

सबसे पहले म्हारी सास ने अपनी लाडली बिटिया को दवाई दी, उनके तो छोरा ही हुआ राम!


अब आई म्हारी बारी, सुबह-सबेरे सात बजे ही आ गए मास्टरजी। म्हानॆ एक गिलास दूध के सागॆ तीन गोलियां दी, वन बाई वन ऒर कहा खूब मजे से सोओ। म्हारी सास ने कमरा बंद करके ताला लगा दिया। रात को लेट सोये थे ऒर सुबह जल्दी उठ गये थे, सो नींद भी आ गयी। ढाई-तीन घंटे बाद उठे तो बडी जोर से भूख लागी। अब के करां, सास तो तीन बजे पट खोलेगी ऒर तब भी बस उबले हुए चावल का भोग लगाओ ऒर पेट में दर्द हो जाए तो पेट पर हाथ फेरते हुए अगस्त्य मुनि को याद करो- अगस्त्य मुनि हजम करो- सात बार!
(खायें तो हम ऒर हजम करें अगस्त्य मुनि!)

खॆर बॆठ गये। सोचा, थोडी देर टी.वी. देख लें पर तभी मास्टरजी के वचन याद आ गये- किसी छोरी की तस्वीर भी नहीं देखनी, किसी छोरी से फोन पर बात भी नहीं करनी। म्हॆ म्हारॆ चेहरे पर हाथ लगायो, अब इसे कहां छुपायें, क्या करें इसका! बडे परेशान हुए। चद्दर से मुहं ढककर तकिये में दबा लिया, ऊपर से एक तकिया ऒर डाल लिया, पण ये क्या हुआ, अपने चेहरे के साथ-साथ्म्हारी मम्मी को, बहण को, सास को, ताई-चाची को, सहेलियां को, पडोस वाली बूढी दादी को, उसकी बहू को, पांचवीं में पढाने वाली टीचर को, कोई सॊ चेहरा दिखण लागा। अब के करां, ऎसे म्हारॆ छोरा कॆंया होसी?

फिर म्हानॆ कॆकेयी याद आणे लागी। वो भी एक बार कोप-भवन में जाकर सोयी थी ऒर म्हॆ भी सो रहे हॆं पट बंद करके।

जॆसे-तॆसे तीन बजे। म्हारी सास ने चीनी डालकर उबले हुए चावल दिये ऒर म्हॆ खाकर अगस्त्य मुनि को याद कियो ऒर लग गये काम मॆं।

अब रात को मिला खाली दूध। म्हारे बच्चे ने बहुत कहा- भूख लगी हॆ पण छोरा करने के लिये भूखा तो रहना ही पडेगा न।

एक हफ्ते बाद फिर यही प्रोग्राम हुआ। इस बार म्हारा भूखा बच्चा छोरी से छोरा हो ही गया!

थे सोचोगा, म्हाने कॆसे पता चला कि पहले म्हारॆ छोरी थी ऒर अब छोरा हो गया।

वॆरी सिंपल राम! पहलां म्हानॆ टी.वी. पर शाहिद कपूर,रणवीर कपूर ऒर अरमान(अपने 'दिल मिल गए' वाले भई) को देखना अच्छा लगता था, अब म्हॆ कॆटरीना कॆफ, दीपिका पादुकोण, ऎश्वर्या राय को देखते हॆं।

पहलां म्हॆ पति के साथ वाक्युद्ध करते थे, अब सोलिड ढिशुम-ढिशुम करते हॆं।

पहलां म्हॆ मेक-अप, रसोई ऒर मोहल्ले की बाकी लुगायां की बातें करते थे ऒर अब राजनीति, बिजनिस ऒर क्रिकेट की बातें करते हॆं।

क्यों मिल गए न प्रमाण! हो गयी ना म्हारी छोरी छोरा!

वॆसे म्हॆ म्हारी सास को बोल दिया हॆ कि अगर म्हारॆ भी छोरा हो जावे तो अपन दोनों भी यह बिजनिस चालू कर लेंगे। छोरा होने की दवा! छोरा होने की दवा! पचास प्रतिशत भी लागू होगी तो अपने तो चांदी ही चांदी_ _ _ _